কথা -ধৃতিমান সিং
प्रभु नाथ नारायण जीवन कारन
आये है सबके द्वार,
जिनके चरण जिनके शरण
होते है सब उद्धार।।
धारण पालन बैशिष्ट्या पोषण
करते है मालिक सबका ही पुरण,
युग प्रयोजन साधन कारण
लेते है प्रेमी अवतार।।
मालिक मंगलमय देते है अभय
रक्षक दाता प्रभु करते है निर्भय,
लोक लाज भय करो न संशय
उनको करो स्वीकार।।
न कोई माप ना कोई प्रलाप
चाहत करो न कोई पुण्य न पाप
दुःख कष्ट ताप शोक ना सन्ताप
रोके ना कोई बिचार।।
मेरा और तेरा मोह फेरा
तोड़ दे सारे अहं का घेरा
काला अन्धेरा माया का डेरा
दूर करो अँधियार।।
১লা সেপ্টেম্বর সৎসঙ্গ ২০০৯
प्रभु नाथ नारायण जीवन कारन
आये है सबके द्वार,
जिनके चरण जिनके शरण
होते है सब उद्धार।।
धारण पालन बैशिष्ट्या पोषण
करते है मालिक सबका ही पुरण,
युग प्रयोजन साधन कारण
लेते है प्रेमी अवतार।।
मालिक मंगलमय देते है अभय
रक्षक दाता प्रभु करते है निर्भय,
लोक लाज भय करो न संशय
उनको करो स्वीकार।।
न कोई माप ना कोई प्रलाप
चाहत करो न कोई पुण्य न पाप
दुःख कष्ट ताप शोक ना सन्ताप
रोके ना कोई बिचार।।
मेरा और तेरा मोह फेरा
तोड़ दे सारे अहं का घेरा
काला अन्धेरा माया का डेरा
दूर करो अँधियार।।
১লা সেপ্টেম্বর সৎসঙ্গ ২০০৯