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ठाकुर पिया!


কথা ও সুর - পূজনীয় বিঙ্কিদা

ठाकुर पिया!
कैसे तू ने मोरे तन मन
अपने रंग में रंग दिया।
हो रामा क्या किया....... हाय ये क्या किया..... ॥

मान ज्ञान धन जीवन यौवन
झूठा बोझ बढ़ाया
मेहर के तेरे तनिक कण ने
माया भरम से बचाया।
हो रामा क्या किया....... हाय ये क्या किया..... ॥

आवश जीवन, व्याकुल तडपे,
मोह फेर सताया,
बरसे धारा करुणा की तेरी-
काल कहर से बचाया।
हो रामा क्या किया....... हाय ये क्या किया..... ॥

ओ मोरे पिया!
मोरे साँवरिया!
तूने तो मुझको, हर जीवन को
सुरत अपनी बताया,
तुझको जीवन करके अर्पण
जीवन पथ को पाया।
हो रामा क्या किया....... हाय ये क्या किया..... ॥